Saturday 7 July 2012


श्री जीवन पंचकम्
ज्ञानाकरं विरतिरागयुतं विशुद्धं,शुद्धान्तरं शशिकलेव सदैव हृद्यम्।
भक्त्यांगरागविमलं तपसा समृद्धं,श्री जीवनं नमति मे हृदयं प्रवुद्धम्।।1
धर्मप्रचार परिरक्षण बद्ध सूत्रं , लोके सदैव सरलं परमं विचित्रं।
वेदान्तरागरसिकं सततं सुमित्रं,श्री जीवनं नमति मे हृदयं पवित्रम्।।2
यस्य प्रभाव किरणैःतिमिरो विषण्णः,घूकादयो विधिविबोधविचार शून्याः।
संकीर्णताशुचिमलेन नितान्तक्लिन्नाः,यस्य स्वभावसुधयापि गताः प्रपन्नाः।।
तं जीवनं नमति मे हृदयं प्रसन्नम्।।3
सर्वान् विहाय विषयानलसर्पिभूतान्,कामान् सुखेन परितोष कृतेनुगंगम्।
संस्थापितं नरवरेतिविचार केन्द्रं,तं जीवनं नमति मे हृदयं सुधीन्द्रम्।।4
आलोक्य लोचनभटैः जगतां विषादं,गंगातटे गुरुकुलं श्रुतिशास्त्रपूतम्।
संस्थाप्य वेदजननीं तपसानुवंद्य,साक्षात्कृतो भगवतो द्युतिविग्रहो यः।।
तं जीवनं नमति मे हृदयं मुनीन्द्रम्(द्विजेन्द्रम्)5
कृतज्ञता प्रकाशाय,भगवत्प्रीति प्राप्तये।
मोदते त्र्यंबको विप्रः,कृत्वा जीवनपंचकम्।।
 गायत्री के महान उपासक, सत्यनिष्ठ, सर्वश्री जीवन दत्त जी महाराज लब्धप्रतिष्ठ नरवर पाठशाला के संस्थापक,षड्दर्शनाचार्य स्वामी श्री विश्वेश्वराश्रम जी महाराज(श्री करपात्री जी महाराज के विद्या गुरु) प्रभास भिक्षु जी महाराज,सर्व श्री कृष्णानंद जी महाराज, धर्मसम्राट् स्वामी श्री करपात्री जी महाराज,जगद्गुरुशंकराचार्य श्री ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज ज्योतिष्पीठ,ज,गु,शं, स्वामी श्री कृष्णबोधाश्रम जी महाराज ज्योतिष्पीठ,ज,गु,शं,स्वामी श्री अभिनव सच्चिदानन्दतीर्थ जी महाराज शारदापीठ, ज,गु,शं,भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज पुरी,ज,गु,शं,मधु सूदन तीर्थ जी महाराज पुरी,सर्व श्री उङिया बाबा जी महाराज,हरिबाबा जी महाराज,  सर्व श्री स्वामी अखंडानंद सरस्वती जी महाराज,पण्डित प्रवर श्री अखिलनंद जी,शास्त्रार्थ महारथी श्री माधवाचार्य जी महाराज,आदि महामनीषियों के द्वारा सदा अभिनन्दित रहे.।इनकी महिमा को कौन कह सकता है,,अनुभूति करने के लिये आज भी नरवर के पवित्र परिक्षेत्र में इनकी अपूर्व साधना के परमाणु प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होते हैं,,,

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