Saturday 7 July 2012


सनातन धर्म
संसारस्य समस्त सौख्य रचना यस्य प्रसादेन वै,
जीवानां हित साधकः सुविमलःनिष्पक्षताधायकः।
इन्द्रोपेन्द्र-विरंचि-माधव-महादेवादिभिःपूजितः,
धर्मोयं हि सनातनः त्रिभुवने भूयात् सदा भूतये।।1
संसार के समस्त सुखों की रचना जिसके कृपा प्रसाद से होती है,
प्राणिमात्र के हित का साधक,निष्पक्षता पर आधारित सिद्धान्त वाला,
अत्यन्त विमल,इन्द्र-उपेन्द्र-ब्रह्मा-माधव-महादेव-आदि के द्वारा पूजित,
वह सनातन धर्म तीनों भुवनों में ऐश्वर्य प्रदायक हो,,,।।

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