Sunday 4 March 2012


चहरे को खिलने दे खिले फूल जैसा तू,वक्त चाहे जैसा हो मुस्करा हमेशा तू।
कौन जमाने में दुख नहीं पाया,दर्द की माला ले दर नहीं आया
श्याम की शरण में आ हो ना रुआंसा तू।।1।।
होली दिवाली सब दिनरात आते,चांद सितारे भी नभ झिलमिलाते।
देखता तमाशा जा,बन ना तमाशा तू।।2।।
और के लिये जी सांस अनमोल रे,जाते हर सांस पर राम कृष्ण बोल रे।
मौज में बिताता जा जिंदगी अभय सा तू।।3।।
जन्म और मौत भी संग संग चलते,पुण्य पापों दोंनों फलते ही फलते।
खुशियों के गीत गा छोङ दे निराशा तू।।4।।
विप्र की चरण रज सिर पर तू धार रे,भक्ती की नौका चढ उतर तू पार रे।
दिव्य चेतना के अंश हो गया रे कैसा तू।।5।।

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