पाती वरषाने सौं आयी,सुनतहि सुधि विसरायी।
उद्धव के कर देख पत्रिका,हिरदय हूक समायी।।पाती.....
अश्रु बिंदु जलधार बहत है,पतनारे की नायी।
श्रीराधाजू छवी मनोहर,नयन पटल पर छायी।।पाती......
रोम रोम खिल उठो प्रीत सौ,भूल गये ठकुरायी।
नित्य कुंज की निलयन लीला,राधा संग सगायी।।पाती.......
मान मनावन चरण पलोटन,नित्य नयी पहुनायी।
पुष्प चयन कर नित नूनत ही,राधा केश
सजायी।।पाती.....
गौर श्याम दौ धार प्रणय ज्यो,गंग जमुन परछायी।
प्रीत सिंधु शुचि सुधा बिंदु हित,त्र्यंबक करत
दुहायी।।पाती...
No comments:
Post a Comment