इबादत है
खुदा की ये,जो डूबे बो उतर पाये।
मुकम्मल हो न हो चाहे,प्रेम जीवन को महकाये।।1।।
मुकम्मल हो न हो चाहे,प्रेम जीवन को महकाये।।1।।
प्रेम है
आग का दरिया, धधकता ये हमेशा ही।
जिसे जलने का खतरा हो,वो इसके पास न आये।।2।।
जिसे जलने का खतरा हो,वो इसके पास न आये।।2।।
प्रेम है
ज्वार सागर का,विपत्ती के मगर इसमें।
जिसे मिटने का डर ना हो,वही वस पार जा पाये।।3।।
जिसे मिटने का डर ना हो,वही वस पार जा पाये।।3।।
नहीं करने
से होता है,प्रेम खिलता अचानक ही।
कहा कुछ जा नहीं सकता,कहां ये मौन मुस्काये।।4।।
कहा कुछ जा नहीं सकता,कहां ये मौन मुस्काये।।4।।
नहीं दो
से कभी होता,अगर है तो वो सौदा है।
अरे ये प्रेम का मोती,हृदय सीपी में पल पाये।।5।।
अरे ये प्रेम का मोती,हृदय सीपी में पल पाये।।5।।
जिसे जीने
की हसरत है,रखे वो ना कदम आगे।
अरे ये मौत का कूआ,बलि दी शीश की जाये।।6।।
अरे ये मौत का कूआ,बलि दी शीश की जाये।।6।।
जिसे अपमानका
भय है,जिसे चाहत अभी यशकी।
नवो सोचे इधर बिलकुल,जमाने सेजो शरमाये।।7।।
नवो सोचे इधर बिलकुल,जमाने सेजो शरमाये।।7।।
प्रेम है
साधना सिद्धी,प्रेम अवतार प्रभु का है।
वासना से रहित त्र्यम्बक,प्रेम तन मन को महकाये।।8।।
वासना से रहित त्र्यम्बक,प्रेम तन मन को महकाये।।8।।
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