Sunday 4 March 2012


में हार गया जग से,हरि आ जाओ एक बार।
तेरे दर्शन को तरसा ,में पङा तेरे दरबार।।1।।हरि आ जाओ एक बार..
नहीं दोष देखना मेरे,दोषों पर ना जाना।
में पापों का पुतला हूं,सब दुनिया ने माना।।
है मलिन बहुत मन मेरा,रो करता यही पुकार।।2।।हरि आ...
है एक भरोसा ये ही,तुम सबके रक्षक हो।
तुम बिगङी बनाते हो,पापों के भक्षक हो।।
पतितों के सहारे हो,सब कहता ये संसार।।3।।हरि आ...
है नाम बहुत तेरा,अधमों को बचाने में।
नहीं कोई दूसरा मुझसा,पापी है जमाने में।।
हे करुणा के सागर,अब कर भी दो उद्धार।।4।।हरि आ...
हम चाहे जैसे हैं, हैं तो तुम्हारे ही।
सब स्वर्ग नरक गतियां,हाथों हैं तुम्हारे ही।।
है भव सागर फैला,कर आज तेरे पतवार।।5।।हरि आ...
कुछ भी तो नहीं वश में,वेवश वेचारा हूं।
था भवन गगन मेरा,मैं गिरा सितारा हूं।।
मेरे दोष क्षमा करके,अब कर लो फिर स्वीकार।।6।।हरि आ....

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