आतंकवादः
भारते हिंसकाःभीतिभूताःखलाः,दोषशून्यान् जनान् बालकान्
भावुकान्।
हन्ति विस्फोट चक्रेण ते निर्दयाः,पीडयन्तो जिहादाख्यया हिंसया।।1।। पवित्र भारत भूमि पर भयावतार हिंसक,निर्दोष बालकों तथा भोले भाले
लोगों को तथाकथित जिहाद(जाति विशेष के द्वारा घोषित कल्पित धर्मयुद्द) के नाम पर
बम विस्फोट श्रृंखला के द्वारा मानसिक पीडा देते हुये मार रहे हैं। पाकदेशेन
संप्रेरिताःराक्षसाः,तस्कराःलुण्ठकाःप्राणसंहारकाः।
भूतले सर्वतस्ते च व्याप्ताःसमे,पीडयन्तो जिहादाख्यया हिंसया।।2।।
ये
राक्षसप्राय चोर लुटेरे मानवता के हत्यारे नापाक इरादों वाले पाकिस्तान के
द्वारा संप्रेरित हो,भूतल पर सभी जगह अपने ठिकाने बना चुके हैं, जिहाद
के
नाम पर लोगों को पीडित करते हैं।
रक्तबीजाः सदा
रक्तपातप्रियाः,क्रूरतायुक्तरक्ताःप्रवृत्ताःछले। धर्महीनाःमृगाःते न वै मानवाः,द्रोहवृत्तौ रताः पामराःदानवाः।।3।।
सदा खूनखराबे
से प्रेम करने वाले,छल कपट में प्रवृत्त,ये रक्त बीज के वंशज हैं जिनके रक्त में ही क्रूरता वसी है,मानवता से
द्रोह करने वाले पामर दानव है, ये
विधर्मी मानव नहीं हो सकते ये तो पशु हैं,। शासकाःदुर्बलाःराजनीत्यां रताः,आत्मरक्षापराःस्वार्थ संसाधकाः।
हिंसकानां च ते रक्षणे तत्पराः,वावदूकाःन ते कार्य संपादकाः।।4।।
केवल अपनी
रक्षा के प्रति सजग,स्वार्थान्ध प्रशासक,राजनेता भी दुर्बल होकर
केवल अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने में लगे हैं,चंद मतों(बोटों) के प्रलोभन
में
आकर अपनी मतिहीनता का परिचय देते हुये सिमी जैसे संगठनों के प्रति,
आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखकर उनको संरक्षण देते हैं, बङी बङी
बाते
बनाने वाले ये नेता कार्य करने में असमर्थ ही हैं। आपणे चत्वरे मार्गमध्ये गृहे,तीर्थ
यात्रान्तरे मन्दिरे मस्जिदे।
सर्वतःपाणिपादाश्च वै हिंसकाः,कुत्रचित् भारते रक्षिता नो वयम्।।5।। बाजारों में,चौराहों पर, राजमार्गों पर, घरों में,
तीर्थ यात्राओं में,मन्दिरों में,मस्जिदों में, सब
जगह ये हिंसक सर्वतोमुखी होकर व्याप्त हो गये,आज भारत में हम कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं,सच ये है, कि
आतंक का,हिंसा का,अत्याचार का कोई मजहब नहीं होता।। समर्थश्री..
No comments:
Post a Comment