Thursday 3 May 2012


प्रणमामि मयंक मुखे मधुरे।।
सततं शुभदं तव नाम शिवे,भव ताप विनाशक दिव्यमहो।
करुणामयि देवि कृपासरिते,प्रणमामि मयंक मुखे मधुरे।।
वसुधा सलिलं हुतभुक् पवनो,गगनं च तथा नु समस्तमयि।
सततं सविता कुमुदाभ रमे,जन भाव गता जननी जगतः।।
भुवि-सौख्य-समृद्धि यशांसि सदा,कृपया तव मात्र भवेत्मनुजे।
कमनीय कला कलिते करुणे,करुणाकर कामरिपोःगृहिणी।।
मद-मोह-महाग्रह-ग्रस्त-जनाः,मदनेन युताःवनिता वशगाः।
ममता-विष-दूषित-भावनराः,समता-रहिताःबहु-भोग-रताः।।
मयि बालक भाव करोतु शिवे,परिपालय पावन प्रीतिपरे।
मम नास्ति भुवौ जननी जनकः,न सखा न सहाय करो भुवने।।
तोटक छंद है,अधरं मधुरं,,,,,,रविरुद्र पितामह विष्णुनुतं,,,,
भगवान तुम्हारे मंदिर में एक नया पुजारी आया है,,इस प्रकार से गा सकते हैं

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