प्रणमामि मयंक मुखे मधुरे।।
सततं शुभदं तव नाम शिवे,भव ताप विनाशक दिव्यमहो।
करुणामयि देवि कृपासरिते,प्रणमामि मयंक मुखे
मधुरे।।
वसुधा सलिलं हुतभुक् पवनो,गगनं च तथा नु
समस्तमयि।
सततं सविता कुमुदाभ रमे,जन भाव गता जननी जगतः।।
भुवि-सौख्य-समृद्धि यशांसि सदा,कृपया तव मात्र
भवेत्मनुजे।
कमनीय कला कलिते करुणे,करुणाकर कामरिपोःगृहिणी।।
मद-मोह-महाग्रह-ग्रस्त-जनाः,मदनेन युताःवनिता
वशगाः।
ममता-विष-दूषित-भावनराः,समता-रहिताःबहु-भोग-रताः।।
मयि बालक भाव करोतु शिवे,परिपालय पावन प्रीतिपरे।
मम नास्ति भुवौ जननी जनकः,न सखा न सहाय करो
भुवने।।
तोटक छंद है,अधरं मधुरं,,,,,,रविरुद्र पितामह
विष्णुनुतं,,,,
भगवान तुम्हारे मंदिर में एक नया पुजारी आया
है,,इस प्रकार से गा सकते हैं
No comments:
Post a Comment