Thursday 3 May 2012


प्रभो
प्रभो पाहि विष्णो,दयालो हरे।
नमामो वयं त्वां ,जगत् संगरे।।1
स्मरामो वयं त्वां, जगत् संगरे।।
भजामो वयं त्वां, जगत् संगरे।।
स्वभावस्त्वदीयः, सुजन प्रेम भिक्षा।
कदा काल यावत्,भवेत् त्वत् प्रतीक्षा।।
समीहा विलीना,सुखस्याकरे।।2
विपाकैःविपन्नाः,सुदीनाति खिन्नाः।
जगत् वह्नि दग्धाः,सदा शोक क्लिन्नाः।।
दयां कुरु दयालो,दया निर्झर।।3
न जी भरके देखा, न  कुछ बात की,।।
बङी आरजू थी,मुलाकात की।। की भांति गाया जा सकता है

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