अहो भ्रूण हत्या,जघन्या मता।
पिशाचाःजनाः ये,विनाशे रताः।।
समाजे सजगता कथं नास्ति सभ्या,
कथं पाप वृत्तौ सुलग्नाःअसभ्याः।
समाधान वांछा,मनसि चागता।।
अहो भ्रूणहत्या,जघन्या मता।।1
स्वकीयं शिशुं वै स्वयं ये च हन्ति,
निरपराध-जीवस्य सुखं संहरन्ति।
कथं सास्ति माता,कथं स पिता।।
अहो भ्रूण हत्या,जघन्या मता।।2
उभय लोक पूज्या सदा त्याग मूला,
समेषां हिते या सदा चानुकूला।
अरे पुण्यरूपा,तपस्या सुता।।
अहो भ्रूणहत्या,जघन्या मता।।3
इयं सृष्टिमूला ह्यपूर्वा भवानी,
इयं देवि दुर्गा च दिव्या शिवानी।
इयं कल्प वल्ली,मनोरथ लता।।
अहो भ्रूणहत्या,जघन्या मता।।4
ये भ्रूण हत्या के प्रति लोगों के मन में
जागरुकता
उत्पन्न करने का प्रयास किया गया है,सुधी जनों
को उचित लगे तो अंगीकार कर अनुग्रहीत करें।।
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